दोस्तों, आज की इस पोस्ट में आग (Aag) के बारे में बात करने वाले हैं। आग क्या होती है? यह कितने प्रकार की होती है? और कैसे उत्पन्न होती है इसको बुझाने के साधन आदि की जानकारी दी गई है। यदि आप इसके बारे में जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
आग किसे कहते हैं? | (Aag kise kahate hain?)
जब कोई ज्वलनशील पदार्थ जलता है तो उसको ही आग कहते हैं। आग (Aag) से प्रकाश व गर्मी उत्पन्न होती है। आग को उत्पन्न होने के मुख्य तत्व ईंधन व ऑक्सीजन होते हैं। इन दोनों में से किसी एक की कमी के कारण आग उत्पन्न नहीं हो सकती है।
Aag एक रासायनिक प्रोसेस है जिसमें उष्मा के रूप में ऊर्जा उत्पन्न होती है। इससे ऊष्मा के अतिरिक्त प्रकाश व रासायनिक पदार्थ जैसे- कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्पन्न होती है।
आग कितने प्रकार की होती है? (Types of Aag)
यह निम्न प्रकार से हैं-
- क्लास 'A' की आग- इस प्रकार की आग में मुख्यत: लकड़ी, कागज, कपड़े व ठोस धातुओं से लगी आग को रखा गया है। इस प्रकार की आग को कार्बोनेशियस की आग भी कहते हैं।
- क्लास 'B' की आग- इस प्रकार की आग में तैलीय Aag जैसे- पेट्रोल, डीजल व कैरोसीन की आग को रखा गया है।
- क्लास 'C' की आग- इस प्रकार की आग में गैसीय आग जैसे- मीथेन, एल.पी.जी. गैस की आग को रखा गया है।
- क्लास 'D' की आग- इस प्रकार की Aag में विद्युतीय आग को रखा गया है।
इसके अतिरिक्त एक क्लास 'F' की आग होती है, जिसमें कुकिंग ऑयल से लगी आग को रखा गया है।
आग (Aag) लगने के कारण कौन-कौन-से होते हैं?
- अधिक तेज स्पीड से चलने वाली मशीनों में तेल की आवश्यकता मात्रा का न होना।
- विद्युत तारों का सही तरीके से कसा न होना अर्थात् तारों का ढीला होना।
- जलने वाले पदार्थों को सही से सुरक्षित स्थान पर न रखना।
- बिजली के शॉर्ट सर्किट से आग लग जाती है।
- विद्युत के तारों पर उनकी क्षमता से अधिक लोड डालना।
- मशीनों को उचित कूलेंट न देना।
- कारखानों में सिगरेट या बीड़ी को सुलगाना।
आग (Aag) बुझाने के साधन कौन-से होते हैं?
किसी भी कारखानों में या वर्कशॉप में आग को बुझाने के साधन आवश्यकता मात्रा में उपलब्ध रहते हैं, जो कि निम्न प्रकार से हैं-
वर्कशॉप से बाहर अर्थात् मेन गेट व इमरजेंसी गेट पर रेत से भरी बाल्टियां उपलब्ध रहती हैं इसकेे अलावा वर्कशॉप या कारखानों में पानी से भरी बाल्टी, केनवास शीट व अग्निशामक यंत्र उपलब्ध रहते हैं। जिनको आवश्यक के अनुसार उपयोग किया जाता है।
लेकिन इन सभी साधनों में सबसे अधिक अग्निशामक यंत्रों (Fire Extinguishers) को उपयोग में लाया जाता है, जो कि निम्न प्रकार से हैं-
- सोडा-एसिड अग्निशामक यंत्र- इस प्रकार के अग्निशामक यंत्र का उपयोग क्लास 'A' की आग को बुझाने में किया जाता है। इस अग्निशामक यंत्र के आयरन सिलेंडर में सोडियम बाई कार्बोनेट व सिलेंडर के अंदर कांच की बोतल में सल्फ्यूरिक एसिड भरा होता है। इस यंत्र को पहचानने का कलर कोड पीला रंग का होता है।
- फोम अग्निशामक यंत्र- इस प्रकार के अग्निशामक यंत्र का उपयोग क्लास 'B' की Aag को बुझाने में किया जाता है। इस अग्निशामक यंत्र के आयरन सिलेंडर में सोडियम बाई कार्बोनेट व सिलेंडर के अंदर कांच की बोतल में एल्युमीनियम सल्फेट भरा होता है। इस यंत्र को पहचानने का कलर कोड भूरे या क्रीम रंग का होता है।
- सी.टी.सी. अग्निशामक यंत्र - इस प्रकार के अग्निशामक यंत्र का उपयोग क्लास 'D' की आग को बुझाने में किया जाता है। सी.टी.सी. का फुल फॉर्म कार्बन टेट्रा क्लोराइड होता है। इस अग्निशामक यंत्र को हैलोन अग्निशामक यंत्र के नाम से भी जाना जाता है। इस अग्निशामक यंत्र में कार्बन टेट्रा क्लोराइड और ब्रोमो क्लोरो डाई फ्लोरो मीथेन का उपयोग किया जाता है। इस यंत्र को पहचानने का कलर कोड हरे रंग का होता है।
- सूखा पाउडर अग्निशामक यंत्र- इस प्रकार के अग्निशामक यंत्र का उपयोग क्लास 'C' की आग को बुझाने में किया जाता है। इसमें कार्बन डाइऑक्साइड या नाइट्रोजन की सहायता से सोडियम बाई कार्बोनेट का चूर्ण निकाला जाता है। इस यंत्र को पहचानने का कलर कोड नीले रंग का होता है।
- जल से भरे अग्निशामक यंत्र- इस प्रकार के अग्निशामक यंत्र का उपयोग लकड़ी अथवा कोयले में लगी Aag को बुझाने के लिए किया जाता है। यह यंत्र दो प्रकार के होते हैं, जिसमें से एक स्टोर्ड प्रेशर टाइप व दूसरा गैस कार्टिड्ज टाइप का होता है। यह आकार में छोटे व बड़े होते हैं। यह भी आपको वर्कशॉप में उचित स्थान पर लटके मिल जाएंगे।
- कार्बन डाइऑक्साइड अग्निशामक यंत्र- इस प्रकार के अग्निशामक यंत्र का उपयोग क्लास 'B' की आग को बुझाने में किया जाता है। यह मार्केट में प्लंजर, लीवर व ट्रिगर आदि रूप में मिलते हैं। इस यंत्र में कार्बन डाइऑक्साइड उपस्थित रहता है। यह जमाव के कारण प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है। यह अधिकतर खुली हवा में अधिक प्रभाव नहीं दिखा पाते हैं।
वर्कशॉप में आग (Aag) लगने से बचाने के उपाय
प्रत्येक टाइप की वर्कशॉप में विभिन्न प्रकार के काम होते रहते हैं। वर्कशॉप में स्नेहक के साथ ही जलने वाले पदार्थ भी उपलब्ध रहते हैं। जिससे भयंकर आग लगने से संभावना बढ़ जाती है। इसलिए नीचे दिए गए बिंदु पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। जिससे Aag लगने की संभावना को बहुत कम किया जा सके। जो कि निम्न प्रकार से हैं-
- वर्कशॉप में वेल्डिंग का काम पूरा करने के बाद सिलेंडर की नॉजल को अच्छी तरह से बंद कर चाहिए। जिससे कि यह ढीला रहा तो गैस लीकेज होने से आग लगने की संभावना बढ़ सकती है।
- वर्कशॉप में स्नेहक, चलने वाले पदार्थ व तेल का भंडार गृह नहीं बनाना चाहिए। उसका भंडार गृह वर्कशॉप से अलग होना चाहिए।
- कार्यशाला में आग को नहीं जलाना चाहिए। यदि इससे निकली चिंगारी किसी जलने वाले पदार्थ के संपर्क में आएगी। जिससे आग लग जाएगी।
- वर्कशॉप में विद्युत की फिटिंग अच्छी तरह से की गई होनी चाहिए। यदि तार ढीला होगा तो तार से चिंगारी निकल सकती है।
- कभी भी वर्कशॉप में धुम्रपान का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि आपने वहां धुम्रपान किया और उसका जला हुआ टुकड़ा इधर-उधर फेंक दिया तो वह आग लगने का कारण बन सकता है।
- वर्कशॉप में तेल से भीगे कपड़े इधर-उधर नहीं बिखरे होने चाहिए। जिससे आग लग सकती है। इसलिए इनको एक कचरा पात्र में इकट्ठा करके डाल देना चाहिए।
- मशीनों पर उचित विद्युत लोड होना चाहिए। अधिक लोड होने से विद्युत तार जल सकते हैं, जिससे अन्य जलने वाले पदार्थ संपर्क में आकर आग को भयंकर रूप से सकते हैं।