दोस्तों, इस पोस्ट के माध्यम से आपको सुरक्षा (suraksha in hindi) की जानकारी मिलेगी। सुरक्षा किसे कहते हैं? कार्यशाला में सुरक्षा का क्या महत्व है। हमें कार्यशाला या इंडस्ट्रीज में काम करते समय किन सुरक्षाओं का ध्यान रखना चाहिए। सुरक्षा का सभी प्राणी के लिए बहुत महत्व है। कार्यशाला में Suraksha को ध्यान में रखकर किसी भी काम को करना चाहिए। इससे बहुत कम दुर्घटना (durghatna) होने की संभावना रहती है। यदि आप इसके बारे में विस्तृत जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़कर जानकारी प्राप्त कर सकते हो।
सुरक्षा किसे कहते हैं? | Suraksha kise kahate hain?
सुरक्षा शब्द का अर्थ होता है, 'सुरक्षित रहना' होता है। किसी भी अनचाही अचानक होने वाली दुर्घटना (durghatna) जो किसी भी कारीगर या उसके आसपास कारीगर व मशीनों को प्रभावित करती है, उससे सुरक्षित रहना को ही Suraksha कहते हैं।
आईटीआई (ITI) की कोई भी ट्रेड हो प्रत्येक ट्रेड की वर्कशॉप के मेन गेट पर ही सुरक्षा सावधानियों के बारे में वर्णित होता है। सुरक्षा सावधानियों की लोकेशन इस तरह से की गई होती है, कि वर्कशॉप में जाते समय सबसे पहले सभी की नजर उसी पर जाती है। यही नियम कंपनियों में भी होते हैं। लेकिन प्रत्येक वर्कशॉप में उपस्थित टूलों व मशीनों के अनुसार Suraksha सावधानियां दी गई होती हैं। प्रत्येक वर्कशॉप व कंपनी की कुछ कॉमन सुरक्षा सावधानियां भी होती हैं। लेकिन पूरी तरह समान नहीं होती हैं। सबके लिए अलग-अलग होती हैं।
दोस्तों, हम इसमें अपनी ट्रेड फिटर (Fitter) की वर्कशॉप में काम करते समय अपनाए जाने वाले सुरक्षा नियमों की बात करेंगे। सभी वर्कशॉप की तरह फिटर की वर्कशॉप में काम करने के लिए कुछ विशेष नियम वर्णित किए गए होते हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होता है। वर्कशॉप में नियम व मानक की Suraksha की कुंजी होते हैं और सुरक्षा ही हमारे जीवन का अभिन्न अंग होती है।
इसलिए दोस्तों किसी भी काम को करने के लिए हमेशा सुरक्षित काम करने का स्वभाव या आदत बनाने का प्रयास करते रहना चाहिए। चाहे वह काम किसी वर्कशॉप का हो या आपके घर का ही कोई काम क्यों न हो। इसलिए दोस्तों किसी भी काम को करने के लिए हमेशा सुरक्षित काम करने का स्वभाव या आदत बनाने सुरक्षित काम करने का स्वभाव या आदत हमेशा जन, धन व सामग्री की रक्षा करता है। असुरक्षित स्वभाव से हमेशा निम्न कोटि का उत्पादन, न्यून लाभ, दुर्घटना आदि का सामना करना पड़ता है।
सुरक्षा के प्रकार | Suraksha ke prakar
वर्कशॉप में काम करते समय मुख्यत: तीन प्रकार की Suraksha को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए। जो कि निम्न तरह से हैं-
अपनी सुरक्षा (Suraksha)
जब कोई भी कारीगर अपूर्ण जानकारी से किसी भी मशीन या टूल का उपयोग करता है, तो वह दुर्घटना का शिकार हो सकता है। इसलिए सबसे पहले टूल व मशीन का अच्छा ज्ञान होना चाहिए तब उपयोग में लाना चाहिए। इसके अलावा अपनी सुरक्षा के लिए निम्न नियमों का पालन भी करना चाहिए। जो कि निम्न प्रकार से हैं-
- वर्कशॉप में नंगे पैर नहीं जाना चाहिए। वहां हमेशा सेफ्टी जूते पहनकर घूमना या जाना चाहिए। क्योंकि वहां मशीनों से निकलने वाले लोहे के छीलन पड़े होते हैं, जिसका पैर में लगने का भय बना रहता है। और आंखों की Suraksha के लिए चश्मे का भी उपयोग करना चाहिए।
- कभी भी वर्कशॉप/कार्यशाला में ढीले कपड़े, टाई, मफलर आदि पहनकर नहीं जाना चाहिए। इन कपड़ों से चलती मशीन पर फंसने से दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है।
- किसी भी टूल या मशीन के बारे में बिना जानकारी प्राप्त किए उपयोग में लाना चाहिए, क्योंकि यह भी दुर्घटना के कारण बन सकते हैं।
- किसी भी मशीन पर काम करते समय दूसरे से बात नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे ध्यान बट जाता है। जिससे दुर्घटना की संभावना बन जाती है। अपने ध्यान या मन को एकाग्र करके काम करने वाला कारीगर ही अच्छा काम कर सकता है और ऐसा करने से दुर्घटना की संभावना बहुत कम रहती है।
- कभी भी चलती मशीन के सहारे नहीं खड़ा होना चाहिए और न ही बैठना चाहिए।
- यदि कभी भी चलती मशीन के पास खड़े होकर काम करना हो, तो चलती मशीन पर सुरक्षा गार्ड लगाकर करना चाहिए।
- वर्कशॉप में ओवरहैड क्रेन पर लटकते हुए वजन के नीचे खड़े होकर काम नहीं करना चाहिए, क्योंकि वजन के गिरने से बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
- मशीनों के चलते समय उसमें तेल डालने के लिए तेल-कुप्पी (funnel) का उपयोग करना चाहिए।
- जब कभी भी ऊपरी स्थान पर काम करना हो तो टूल (Tool) को मजबूती से पकड़कर काम करना चाहिए, क्योंकि यदि पहले से कोई भी कारीगर खड़ा है, तो उसके हाथ से छूटकर टूल लग सकता है। जिस वर्कशॉप में ऊंचाई पर काम चल रहा हो तो वहां पर सभी कारीगर को हेलमेट का उपयोग करना चाहिए।
- किसी भी मशीन से निकलने वाले लोहे के छीलन को हाथ से नहीं खींचना चाहिए, क्योंकि छीलन में तेज धार होती है, जिसकी तेज धार हाथ को काट सकती है।
- कभी भी चलती मशीन की मरम्मत नहीं करनी चाहिए।
- वर्कशॉप में किसी भी बाहरी व्यक्ति को लाने से पूर्व वहां के मौलिक सिद्धांतों की जानकारी दे देनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया तो वह किसी कारणवश कोई अनैतिक काम कर दे। जिससे दुर्घटना हो जाए।
- वर्कशॉप में बिजली के तारों को मशीन के चलते हुए भाग के ऊपर से नहीं ले जाना चाहिए। चलते या घूमते भाग (Part) से तार रगड़ने से तार का इंसुलेशन कट सकता है। जिससे मशीन ऑपरेटर को इलेक्ट्रिक शॉक लग सकता है।
- अधिक भारी सामान को उठाने से पूर्व आस-पास चेक कर लेना चाहिए कि फर्श पर कहीं तेल तो नहीं पड़ा है। यदि आपने लापरवाही दिखाई तो आपने फिसलने से दुर्घटना के शिकार हो सकते हो।
- वर्कशॉप में उपयोग आने वाले हैण्ड टूल को एक उचित स्थान पर रखना चाहिए, यदि उनको सही स्थान पर नहीं रखा तो वह नीचे गिर सकता है। जिससे चोट लगने की संभावना बढ़ सकती है।
कार्यखण्ड की सुरक्षा (Workpiece ki Suraksha)
वर्कशॉप में कार्यखण्ड को बनाते समय उसकी सुरक्षा का भी अवश्य ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए निम्न बातों को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए। जो इस प्रकार हैं-
- कार्यखण्ड/जॉब को मशीन पर बांधने से पहले, जॉब की आकृति के अनुसार सही क्लैम्प करने का प्रबंध करना चाहिए क्योंकि जब तक जॉब सही तरह से मशीन में बंधेगा नहीं। तब तक जॉब सही आकृति नहीं बन पाएगा।
- जॉब/कार्यखण्ड को सही तरह से मशीन पर बांधने के बाद काम के अनुसार कटिंग टूल का उपयोग करना चाहिए। यदि सही कटिंग टूल का उपयोग नहीं किया तो जॉब कभी भी सही नहीं बन पाएगा।
- जॉब को बनाने से पहले उसकी ड्राइंग को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। ड्राइंग को गलत समझने से भी जॉब खराब बन सकता है।
- जॉब को कभी भी ठोंकने के लिए बड़े हैमर का उपयोग नहीं करना चाहिए। इसके Soft Hammer को उपयोग में लाना चाहिए।
- जॉब बनाते समय माप लेने के लिए, जॉब की सूक्ष्मता के अनुसार टूल का उपयोग करना चाहिए; जैसे- रफ माप के लिए स्टील रूल (Steel Rule) का उपयोग करना चाहिए और सूक्ष्म माप लेने के लिए वर्नियर कैलिपर या माइक्रोमीटर का उपयोग करना चाहिए।
- वर्कशॉप में तैयार जॉब या बड़े जॉब को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए ट्राली का उपयोग करना चाहिए। इससे जॉब को नुकसान पहुंचने की कम संभावना रहती है।
- यदि किसी जॉब को अधिक संख्या में बनाना हो तो जॉब को बांधने के लिए सही फिक्स्चर और माप लेने के लिए आवश्यक गेज पहले तैयार कर लेना चाहिए। जिससे जॉब को बनाने में कम समय लगे और वह सही माप में बनाया जा सके।
मशीनों व टूलों की सुरक्षा (Machines & Tools ki Suraksha)
अपनी सुरक्षा व कार्यखण्ड की सुरक्षा के साथ मशीन व टूल की भी Suraksha का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। मशीनों व टूलों आदि की सुरक्षा के लिए निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए। जो इस तरह से हैं-
- कभी भी सूक्ष्ममापी यंत्रों को कटिंग टूल के साथ नहीं रखना चाहिए। यदि उनके साथ रख दिया तो उसकी सूक्ष्मता खोने की संभावना बढ़ जाती है।
- सभी सूक्ष्ममापी यंत्रों/टूलों पर समय-समय पर तेल लगाते रहना चाहिए, विशेष रूप से बरसात के मौसम में इनकी देखभाल अवश्य करनी चाहिए, क्योंकि यदि तेल नहीं लगाया तो टूल को जंग लगने पर उसकी सूक्ष्मता समाप्त हो सकती है।
- किसी भी चलती मशीन पर टूल का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- मशीन की चलती अवस्था में गियर नहीं बदलने चाहिए, क्योंकि इनमें आजकल की कार (Car) व मोटरसाइकिल की तरह क्लच सिस्टम नहीं लगा होता है। यदि मशीन का गियर बदला तो गियर के फंसने से दुर्घटना (durghatna) होने की संभावना बढ़ जाती है। जिससे मशीन को भारी नुकसान होगा।
- किसी भी मशीन की टेबल पर हैमरिंग नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे टेबल पर स्पॉट पड़ सकते हैं। जिससे मशीन की सूक्ष्मता (Accuracy) समाप्त हो सकती है।
- यदि किसी मशीन का कोई भाग खराब हो जाए तो उसे तुरंत बदल देना चाहिए। अन्यथा मशीन के शेष भाग के खराब होने की संभावना बढ़ जाती है।
- नई मशीन पर काम करने से पहले अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। मशीन को चलाने की विधि क्या है। मशीन पर काम करते समय पैरों के नीचे लकड़ी का बोर्ड रखें और मशीन के आसपास आवश्यक रोशनी होनी चाहिए।
- किसी भी नई रेती सीधे लोहे पर उपयोग में नहीं लाना चाहिए। उसको सबसे पहले किसी नर्म धातु पर चलाना चाहिए; जैसे- लकड़ी पर आदि।
- रेती (File) को उपयोग करते समय उसे जॉब पर ठोकने का काम नहीं करना चाहिए, इससे रेती के दांतों के खराब होने की संभावना बढ़ जाती है।
- रेती को एक से दो महीने तक काम में लाने के बाद धुलवा देना चाहिए। जिससे रेती के काम करने की अवधि बढ़ जाती है।
- रेती के दांतों में फंसे धातु के कणों को साफ करने के लिए फाइल कार्ड का उपयोग करना चाहिए। फाइल कार्ड से रेती के दांत अच्छी तरह से साफ हो जाते हैं। जिससे रेती अच्छी तरह से काम करती है।
- सर्फेस प्लेट पर जॉब को रगड़ना नहीं चाहिए। सर्फेस प्लेट (Surface Plate) को सिर्फ मार्किंग के लिए ही उपयोग करना चाहिए।