दोस्तों, आज की इस पोस्ट में हम पंच के बारे में जानेंगे। इसका फिटर ट्रेड में क्या महत्व होता है। वर्कशॉप में जॉब पर सबसे पहले स्क्राइबर द्वारा मार्किंग करते हैं। यह मार्किंग छूने या विभिन्न यान्त्रिक क्रियाओं से मिट सकती हैं, तो इन मार्किंग को स्थायी बनाने के लिए Punch का उपयोग किया जाता है।
पंच किसे कहते हैं? | Punch kise kahate hain?
किसी भी वस्तु या जॉब की सतह पर की गई अस्थायी मार्किंग को स्थायी बनाने के लिए जिस टूल (Tool) का उपयोग किया जाता है, उसको पंच (Punch) कहते हैं।
स्क्राइबर (Scriber) द्वारा खींची गई अस्थायी मार्किंग लाइनें जॉब या वस्तु से मिट सकती हैं, इसलिए इस टूल द्वारा मार्किंग लाइन पर 2.5 मिमी की दूरी पर Punch की सहायता से प्वाइंट लगा दिए जाते हैं। इस प्रकार से Punch द्वारा लगाए गए प्वाइंट या बिंदु से बनी लाइन को स्थायी मार्किंग कहते हैं। स्थायी मार्किंग वर्कर द्वारा बार-बार छूने पर नहीं मिट पाती हैं। यह हाई कार्बन स्टील (High Carbon Steel) के बनाए जाते हैं।
पंच के कितने भाग होते हैं?
यह तीन भागों से मिलकर बना होता है, जो कि निम्न प्रकार से हैं-
- हैड
- प्वाइंट
- बॉडी
हैड
यह पंच का सबसे ऊपरी भाग होता है, जो कि फ्लैट होता है। इसी भाग पर हैमर द्वारा चोट मारकर मार्किंग की जाती है। इस पर हल्के से हैमर की चोट मारी जाती है। यदि आप इस पर अपनी क्षमता के अनुसार हैमर से चोट मारोगे तो Punch खराब हो जाएगा। इससे आपको चोट भी लग सकती है।
प्वाइंट
यह पंच का सबसे निचला भाग होता है। यह नुकीला होता है। इसके साथ ही यह हार्ड व टेम्पर किया गया होता है। इसके द्वारा ही वस्तु या जॉब पर चिन्ह/मार्क बनते हैं। Punch के हैड पर अधिक तेज हैमरिंग करने पर प्वाइंट जॉब में अधिक गहराई तक जा सकता है। जिससे प्वाइंट की एक्युरेसी पर प्रभाव पड़ेगा।
बॉडी
यह हैड व प्वाइंट के बीच का भाग होता है। जिस पर नर्लिंग की गई होती है। पंच के इस भाग को ही हाथ द्वारा एक आवश्यक कोण पर पकड़कर सेट किया जाता है।
पंच कितने प्रकार के होते हैं?
प्रत्येक स्थान पर Punch का अलग-अलग काम होता है। जो कि निम्न प्रकार से हैं-
डॉट पंच क्या है?
इसके प्वाइंट का कोण 60° तक का होता है। इसकी बॉडी षट्भुजाकार होती है। यह कास्ट स्टील (Cast Steel) का बना होता है। इसके प्वाइंट का कोण 60° होने के कारण जॉब पर बिन्दु/प्वाइंट गहरी व कम व्यास की बनती है। इसको चाप, त्रिज्या आदि खींचने में उपयोग किया जाता है।
सेंटर पंच किसे कहते हैं?
इसके प्वाइंट का कोण 90° तक का होता है। यह आकार में डॉट पंच से बड़ा होता है। इसका व्यास 10 मिमी व लम्बाई 100 मिमी तक होती है। इसका उपयोग सुराखों के केन्द्रों को लोकेट करने व केन्द्र बिंदु को गहरा करने में किया जाता है।
प्रिक पंच किसे कहते हैं?
इसके प्वाइंट का कोण 30° तक का होता है। इसका कोण कम होने से डिवाइडर की नोंक को बहुत एक्युरेट स्थिति प्राप्त होती है। यह उच्च कार्बन स्टील (High Carbon Steel) का बना होता है और इसकी लंबाई भी कम होती है। इसका मुख्य रूप से उपयोग तांबा, पीतल व एल्युमिनियम पर मार्किंग करने व सतह पर वक्र (Curve) खींचने में किया जाता है।
पिन पंच किसे कहते हैं?
इसके नाम से ही विदित होता है, कि इस Punch में प्वाइंट नहीं होता है, बल्कि उसके स्थान पर एक बेलनाकार पिन होती है, जिसकी लंबाई जॉब की आवश्यकता को पूरा करती है। इसका उपयोग मार्किंग के लिए नहीं किया जाता है, बल्कि जॉब में फंसी हुई डॉवेल पिन या टेपर पिन को निकालने के लिए किया जाता है। इस प्रकार के पंच बाजार में 3 मिमी से 12 मिमी व्यास के व 100 मिमी से 200 मिमी की लंबाई में मिलते हैं।
बैल पंच किसे कहते हैं?
इस पंच का बाहरी आवरण एक घंटी (bell) के आकार का होता है। इसके ठीक बीच में एक Punch लगा होता है। यह पंच ऊपर की तरफ एक स्प्रिंग (Spring) के द्वारा उठा रहता है। जब कभी भी किसी बेलनाकार वस्तु या जॉब का केन्द्र ज्ञात करना होता है, तब बैल पंच को ठीक उसके ऊपर लम्बवत् टिकाते हैं और उसके बाद स्प्रिंग Punch को नीचे मारने से केन्द्र ज्ञात होता है। बेलनाकार वस्तुओं या जॉब के केन्द्र को गहरा करने के लिए बैल पंच का उपयोग किया जाता है।
ऑटोमैटिक सेन्टर पंच किसे कहते हैं?
यह एक ऐसा आधुनिक पंच है, जिसके द्वारा बिंदु बनाने के लिए हैमर की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें एक स्प्रिंग स्टील का ब्लॉक इस प्रकार लिया जाता है, कि Punch को दबाने पर यह बिना हथौड़ा/हैमर का उपयोग किए बिना मार्किंग कर देता है। इसका प्वाइंट एंगिल 60° या 90° का होता है। इसका अधिकतर उपयोग फाइन व सही मार्किंग के लिए किया जाता है।
सॉलिड पंच किसे कहते हैं?
इसको हिंदी भाषा में ठोस पंच कहते हैं, जिसके द्वारा एक ही आकार के होल करना असंभव होता है क्योंकि इससे होल करते समय शीट के नीचे Punch के अनुसार डाई रखने की आवश्यकता होती है। इसका अधिकतर उपयोग शीट या गर्म लोहे के टुकड़े में आर-पार छेद करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग शीट मैटल शॉप या ब्लैकस्मिथी में भी किया जाता है।
हॉलो पंच किसे कहते हैं?
यह खोखला होता है, इसका उपयोग मुलायम पदार्थों में बड़ा होल करने के काम आता है। यह मुलायम पदार्थों को इसलिए काट देता है कि इसके प्वाइंट वाले भाग की परिधि को चारों ओर से ग्राइण्ड करके धारदार बना दिया जाता है। यह 1.5 मिमी से 13 मिमी साइज तक के बाजार में मिलते हैं। यह मुलायम पदार्थों जैसे- रबड़ की शीट, चमड़े की शीट, गत्ता आदि में होल करने के लिए किया जाता है।
वैड पंच किसे कहते हैं?
इसकी बनावट हॉलो पंच के समान ही होती है। इसका उपयोग बड़े व्यास वाले होल में किया जाता है। इस Punch से जब कर्तन छिद्र कट जाए, तब पुशरॉड की मदद से होल के खराब पदार्थ को बाहर निकाल लेना चाहिए।
लैटर और नम्बर पंच किसे कहते हैं?
यह पंच बॉक्स सैट में 0.8 मिमी से 13 मिमी तक के आकार वाले Punch को रखा जाता है। सबसे पहले पंच की तुलना में स्टैम्प की जाने वाली सतह की जांच रेती की सहायता से करते हैं। स्टैम्प की जाने वाली सतह पर रेती चलाने पर, यदि सतह आसानी से घिसती है तो वह स्टैम्पिंग के लिए सही है। क्योंकि अधिक कठोर पदार्थ पर चिन्ह/मार्किंग करने से Punch के खराब होने का खतरा रहता है। इस प्रकार के Punch का उपयोग जॉब पर नम्बर और लैटर को चिन्हित करने के लिए किया जाता है।
जब किसी कठोर जॉब पर स्टैम्प या चिन्हन करना होता है, तो कठोर जॉब पर मार्किंग की प्रक्रिया को अम्ल निरेखन (etching) विधि द्वारा किया जाता है। इस Punch से मार्किंग करते समय यह अवश्य ध्यान में रखना चाहिए कि मार्किंग एक ही प्रहार में हो जाए। ऐसा इसलिए करना चाहिए कि दूसरे प्रहार से मार्किंग खराब हो सकती है। लैटर पंच के अक्षर M, W, T व I की मार्किंग में अधिक स्पष्ट प्रहार की जरूरत होती है। इस प्रकार केPunch से मार्किंग करते समय Punch को ऊर्ध्वाधर स्थिति में रखते हुए हथौड़े (Hammer) का प्रहार करना चाहिए।